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2026 कर्णवेध मुहूर्त : शुभ समय में करें यह संस्कार!

Author: Vijay Pathak | Last Updated: Wed 5 Nov 2025 12:57:17 PM

2026 कर्णवेध मुहूर्त : सनातन धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल सोलह संस्कारों का विशेष महत्व होता है और इन्हीं में से एक अत्यंत पावन और पूजनीय संस्कार है वह है कर्णवेध संस्कार। इसे आम भाषा में "कान छेदन" कहा जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कर्णवेध संस्कार बच्चे के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, तेज बुद्धि और अच्छी सेहत के लिए आवश्यक माना गया है। यह संस्कार जीवन के शुभारंभ में संस्कारशीलता और संस्कृति की नींव रखता है। सही मुहूर्त में किया गया कर्णवेध संस्कार, बच्चे के भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होता है। 

Karnavedha Muhurat

Read in English: 2026 Karved Muhurat

आइए इस 2026 कर्णवेध मुहूर्त लेख के माध्यम से जानते हैं वर्ष 2026 में कर्णछेदन संस्कार के लिए कौन-कौन सी शुभ तिथियां होने वाली हैं व उनका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से।

कर्णवेध संस्कार की सूची

जनवरी 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

वार

प्रथम सत्र

द्वितीय सत्र

4 जनवरी 2026

रविवार

07:46–13:04

14:39–18:49

5 जनवरी 2026

सोमवार

08:25–13:00

10 जनवरी 2026

शनिवार

07:46–09:48

11:15–16:11

11 जनवरी 2026

रविवार

07:46–11:12

14 जनवरी 2026

बुधवार

07:50–12:25

14:00–18:10

19 जनवरी 2026

सोमवार

13:40–15:36

17:50–20:11

21 जनवरी 2026

बुधवार

07:45–10:32

11:57–15:28

24 जनवरी 2026

शनिवार

15:16–19:51

25 जनवरी 2026

रविवार

07:44–11:41

13:17–19:47

26 जनवरी 2026

सोमवार

11:37–13:13

29 जनवरी 2026

गुरुवार

17:11–19:00

31 जनवरी 2026

शनिवार

07:41–09:53

फरवरी 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

6 फरवरी 2026

शुक्रवार

07:37–08:02, 09:29–14:25, 16:40–19:00

7 फरवरी 2026

शनिवार

07:37–07:58, 09:25–16:36

21 फरवरी 2026

शनिवार

15:41–18:01

22 फरवरी 2026

रविवार

07:24–11:27, 13:22–18:24

मार्च 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

5 मार्च 2026

बुधवार

09:08–12:39, 14:54–19:31

15 मार्च 2026

रविवार

07:04–12:00, 14:14–18:52

16 मार्च 2026

सोमवार

07:01–11:56, 14:10–18:44

20 मार्च 2026

शुक्रवार

06:56–08:09, 09:44–16:15

21 मार्च 2026

शनिवार

06:55–09:40, 11:36–18:28

25 मार्च 2026

बुधवार

07:49–13:35

27 मार्च 2026

शुक्रवार

11:12–15:47

28 मार्च 2026

शनिवार

09:13–15:43

अप्रैल 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

2 अप्रैल 2026

गुरुवार

07:18–10:49, 13:03–18:08

3 अप्रैल 2026

शुक्रवार

07:14–13:00, 15:20–19:53

6 अप्रैल 2026

सोमवार

17:25–19:42

12 अप्रैल 2026

रविवार

06:39–10:09, 12:24–14:44

13 अप्रैल 2026

सोमवार

06:35–12:20, 14:41–16:58

18 अप्रैल 2026

शनिवार

06:24–07:50, 09:46–12:01

23 अप्रैल 2026

गुरुवार

07:31–11:41, 14:01–18:35

24 अप्रैल 2026

शुक्रवार

09:22–13:57, 16:15–18:31

29 अप्रैल 2026

बुधवार

07:07–09:03, 11:17–18:11

मई 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

3 मई 2026

रविवार

07:39–13:22, 15:39–20:15

4 मई 2026

सोमवार

06:47–10:58

9 मई 2026

शनिवार

06:28–08:23, 10:38–17:32

10 मई 2026

रविवार

06:24–08:19, 10:34–17:28

14 मई 2026

गुरुवार

06:08–12:39, 14:56–18:23

15 मई 2026

शुक्रवार

08:00–10:14

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जून 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

15 जून 2026

सोमवार

10:33–17:26

17 जून 2026

बुधवार

05:54–08:05, 12:42–19:37

22 जून 2026

सोमवार

12:23–14:39

24 जून 2026

बुधवार

09:57–14:31

27 जून 2026

शनिवार

07:25–09:46, 12:03–18:57

जुलाई 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

2 जुलाई 2026

गुरुवार

11:43–14:00, 16:19–18:38

4 जुलाई 2026

शनिवार

13:52–16:11

8 जुलाई 2026

बुधवार

06:42–09:02, 11:20–13:36

9 जुलाई 2026

गुरुवार

13:32–15:52

12 जुलाई 2026

रविवार

11:04–13:20, 15:40–19:36

15 जुलाई 2026

बुधवार

06:15–08:35, 10:52–17:47

20 जुलाई 2026

सोमवार

06:07–12:49, 15:08–19:07

24 जुलाई 2026

शुक्रवार

06:09–08:00, 10:17–17:11

29 जुलाई 2026

बुधवार

16:52–18:55

30 जुलाई 2026

गुरुवार

07:36–12:10, 14:29–18:13

31 जुलाई 2026

शुक्रवार

07:32–14:25, 16:44–18:48

अगस्त 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

5 अगस्त 2026

बुधवार

11:46–18:28

9 अगस्त 2026

रविवार

06:57–13:50

10 अगस्त 2026

सोमवार

16:04–18:08

16 अगस्त 2026

रविवार

17:45–19:27

17 अगस्त 2026

सोमवार

06:25–10:59, 13:18–19:23

20 अगस्त 2026

गुरुवार

10:47–15:25, 17:29–19:11

26 अगस्त 2026

बुधवार

06:27–10:23

सितंबर 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

7 सितंबर 2026

सोमवार

07:20–11:56, 16:18–18:43

12 सितंबर 2026

शनिवार

13:55–17:41

13 सितंबर 2026

रविवार

07:38–09:13, 11:32–17:37

17 सितंबर 2026

गुरुवार

06:41–13:35, 15:39–18:49

23 सितंबर 2026

बुधवार

06:41–08:33, 10:53–16:58

24 सितंबर 2026

गुरुवार

06:41–10:49

अक्टूबर 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

11 अक्टूबर 2026

रविवार

09:42–17:14

21 अक्टूबर 2026

बुधवार

07:30–09:03, 11:21–16:35, 18:00–19:35

26 अक्टूबर 2026

सोमवार

07:00–13:06, 14:48–18:11

30 अक्टूबर 2026

शुक्रवार

07:03–08:27

31 अक्टूबर 2026

शनिवार

07:41–08:23, 10:42–15:56, 17:21–18:56

नवंबर 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

1 नवंबर 2026

रविवार

07:04–10:38, 12:42–17:17

6 नवंबर 2026

शुक्रवार

08:00–14:05, 15:32–18:32

7 नवंबर 2026

शनिवार

07:56–12:18

11 नवंबर 2026

बुधवार

07:40–09:59, 12:03–13:45

16 नवंबर 2026

सोमवार

07:20–13:25, 14:53–19:48

21 नवंबर 2026

शनिवार

07:20–09:19, 11:23–15:58, 17:33–18:20

22 नवंबर 2026

रविवार

07:20–11:19, 13:02–17:29

26 नवंबर 2026

गुरुवार

09:00–14:13, 15:38–18:17

28 नवंबर 2026

शनिवार

10:56–15:30, 17:06–19:01

29 नवंबर 2026

रविवार

07:26–08:48, 10:52–12:34

दिसंबर 2026 शुभ मुहूर्त

तारीख

दिन (वार)

शुभ समय

3 दिसंबर 2026

गुरुवार

10:36–12:18

4 दिसंबर 2026

शुक्रवार

07:30–12:14, 13:42–18:38

5 दिसंबर 2026

शनिवार

08:24–13:38

14 दिसंबर 2026

सोमवार

07:37–11:35, 13:03–17:58

19 दिसंबर 2026

शनिवार

09:33–14:08, 15:43–19:53

20 दिसंबर 2026

रविवार

07:40–09:29

25 दिसंबर 2026

शुक्रवार

07:43–12:19, 13:44–19:30

26 दिसंबर 2026

शनिवार

09:06–10:48

31 दिसंबर 2026

गुरुवार

07:45–10:28, 11:56–13:21

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कर्णवेध का अर्थ

कर्णवेध संस्कृत शब्द है, जिसमें कर्ण का अर्थ होता है कान और वेध का अर्थ होता है छेदना या भेदना। इस प्रकार 2026 कर्णवेध मुहूर्त का अर्थ होता है कान छेदने की रस्म। यह सनातन धर्म के 16 संस्कारों में एक सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे परंपरागत से बच्चों के कान छेदने के रूप में किया जाता है। यह संस्कार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना जाता है।

कर्णवेध का महत्व

2026 कर्णवेध मुहूर्त केवल एक पारंपरिक या शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह शिशु के समग्र विकास और धार्मिक संस्कारों से जुड़ा एक विशेष अनुष्ठान है। इसका महत्व धार्मिक, आयुर्वेदिक और मानसिक–शारीरिक स्तर पर देखा जाता है। इसे पापों की निवृत्ति और शुभ ऊर्जा के प्रवेश के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह संस्कार बच्चे को वेद पाठ या धार्मिक श्रवण के योग्य बनाता है। 2026 कर्णवेध मुहूर्त बच्चे को समाज में धार्मिक रीति-रिवाजों से जोड़ता है और एक संस्कारित जीवन की ओर प्रेरित करता है। यह संस्कार लड़की और लड़के दोनों के लिए समान रूप से महत्व रखता है।

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कर्णवेध संस्कार करते वक्त बरतें सावधानी

2026 कर्णवेध मुहूर्त भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे सही समय, शुभ तिथि और विशेष विधि से किया जाए तो यह न सिर्फ धार्मिक रूप से फलदायक होता है, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक विकास में भी लाभकारी सिद्ध होता है।

  • यह संस्कार छठे या सातवें महीने में किया जाता है। 
  • यदि किसी कारण से शिशु के शैशवकाल में न हो पाए तो इसे तीन या पांच वर्ष की उम्र तक भी किया जा सकता है।
  • माघ, फाल्गुन, वैशाख और श्रावण मास को कर्णवेध के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • श्रवण, पुष्य, अश्विनी, मृगशिरा, रोहिणी, हस्त, चित्रा, अनुराधा, रेवती, अभिजीत ये नक्षत्र कर्णवेध के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
  • सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार इन दिनों को अधिक शुभ माना जाता है।
  • द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी,दशमी, एकादशी और त्रयोदशी ये तिथियां कर्णवेध के लिए उत्तम मानी जाती हैं।
  • कर्णवेध संस्कार केवल ज्योतिषीय गणना से तय किए गए मुहूर्त में ही करना चाहिए।
  • देवताओं की पूजा, हवन और बच्चे की रक्षा के लिए मंत्रोच्चार के साथ किया जाए।
  • यदि अस्पताल में या डॉक्टर के पास करवाया जाए तो स्वच्छता और उपकरणों की सेफ्टी अनिवार्य है।
  • प्रक्रिया से पहले बच्चे को शांत और आरामदायक स्थिति में रखा जाए।
  • संस्कार के दिन घर में सात्विक भोजन बनाएं और वातावरण पवित्र रखें।

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कर्णवेध के लाभ

  • हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में शामिल होने के कारण यह आत्मशुद्धि व आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा होता है।
  • इसे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम माना गया है।
  • कर्णछिद्र पर एक विशेष बिंदु होता है, जिसे छिदवाने से तंत्रिका तंत्र उत्तेजित होता है।
  • यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होता है।
  • आयुर्वेद और एक्यूप्रेशर के अनुसार यह बिंदु मस्तिष्क की स्मृति और एकाग्रता क्षमता को बढ़ाता है।
  • कान छिदवाने से शरीर की इम्यून सिस्टम में मजबूती आती है और कई शारीरिक रोगों से बचाव होता है।
  • यह संस्कार बच्चे को नकारात्मक ऊर्जा, नज़र दोष और दुष्ट प्रभावों से सुरक्षा देने के लिए किया जाता है।
  • यह संस्कार बच्चों को अपने धार्मिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का कार्य करता है।
  • पारंपरिक रूप से यह संस्कार सौंदर्य में वृद्धि और सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक रहा है।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. कर्णवेध संस्कार कब करना चाहिए?

कर्णवेध संस्कार, जिसे कान छिदवाने का संस्कार भी कहा जाता है, आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 महीने से लेकर 16वें महीने के बीच किया जाता है।

  1. कर्णवेध मुहूर्त क्या है?

16 संस्कार में से 9वां संस्कार कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। इस दौरान बच्चे के कान छेदने की रस्म है।

  1. नवंबर 2026 में कितने कर्णवेध मुहूर्त है?

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